आज जहां देश मे चारों तरफ कोरोना का कहर छाया हुआ है वहीं दूसरी तरफ एक आम आदमी अपनी रोज़ी रोटी के लिए परेशान है,ऐसे में एक तरफ बीमारी से बचना है तो दूसरी तरफ घर का खर्च भी चलाना है,आम आदमी के लिए लॉक डाउन किसी चुनौती से कम नहीं होता,जिसमे उसे बैंक ईएमआई हो,बिजली बिल या घर दुकान का किराया सभी कुछ देना ही है,अब सवाल ये है कि सरकार से आम आदमी को क्या राहत मिलेगी?जब पिछली बार 2020 मे लॉक डाउन लगा तब आरबीआई की तरफ से मोरेटोरियम की सुविधा ग्राहकों को दी गयी थी जिसमे भी बैंकों द्वारा आपदा में अवसर खोजा गया और ब्याज पर ब्याज वसूल किया गया,इस बार केंद्र या राज्य सरकार द्वारा अभी तक राहत की कोई घोषणा नहीं कि गयी है,वहीं कई लोग दवाओं से लेकर ऑक्सीजन सिलिंडर तक कि कालाबाज़ारी कर रहे हैं,इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि कोरोना ने पिछली बार की अपेक्षा इस बार ज़्यादा कोहराम मचाया है,सरकार को वैक्सीन पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित करना चाहिए क्योंकि वही एक मात्र विकल्प है कोरोना को हराने का, अब सवाल ये है कि कोरोना के बढ़ते मामलों को यदि देखा जाए तो क्या मात्र 7 या 15 दिन में लॉक डाउन लगा कर इसे रोक पाना सम्भव है?सरकार से हम मांग करते हैं कि आप जन की परेशानियों को ध्यान रखते हुए लॉक डाउन का निर्णय ले,क्योकि आम इंसान के लिए ये आपदा है तो कई व्यवसाइयों ने इसे अवसर बना लिया है।